वक़्त की
कैद में है
आज ज़िन्दगी
पाँव
जो न रुकते थे
एक जगह
क्यूँ हैं थमे
आज
क्यूँ है
रुकी रुकी सी
आज ज़िन्दगी
हर तरफ है
सन्नाटा पसरा
हर तरफ है
ख़ामोशी
क्यूँ है बेजुबां
आज ज़िन्दगी
पूछ रहा है
आज
हर कोई
खुद से
क्या किया
उसने ऐसा
कि मायूस है
आज ज़िन्दगी
हर शख़्स
रहा है सोच
कि कल
वो देख पायेगा
या है बस
आज ही ज़िन्दगी.........
कैद में है
आज ज़िन्दगी
पाँव
जो न रुकते थे
एक जगह
क्यूँ हैं थमे
आज
क्यूँ है
रुकी रुकी सी
आज ज़िन्दगी
हर तरफ है
सन्नाटा पसरा
हर तरफ है
ख़ामोशी
क्यूँ है बेजुबां
आज ज़िन्दगी
पूछ रहा है
आज
हर कोई
खुद से
क्या किया
उसने ऐसा
कि मायूस है
आज ज़िन्दगी
हर शख़्स
रहा है सोच
कि कल
वो देख पायेगा
या है बस
आज ही ज़िन्दगी.........