अहसास .......
Wednesday, May 5, 2010
क्षितिज़ !!
क्षितिज़
देखा है ना
लगता जैसे
हैं मिलते
वहाँ
ज़मीं आसमाँ
पर
है क्या
यह सही
या सिर्फ
नज़रों का
धोखा
होता है
कुछ
एसा ही
ज़िन्दगी
और
खुशियों
के साथ
दूर कहीं
नज़र आते
दोनों
साथ साथ
पर
है
क्या
वोह
सच
या सिर्फ
धोखा
नज़रों का
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