Saturday, October 24, 2015

ज़िन्दगी !!

कभी धूप
तो कभी
छाँव है ज़िन्दगी
आज गम
तो कल
ख़ुशी है ज़िन्दगी

कभी तपते हुए सहरा में
एक प्यास है ज़िन्दगी
तो कभी
विरह की बेला में
मिलन की
आस है ज़िन्दगी

क्या हुआ जो आज
धुंआँ धुंआँ
है ज़िन्दगी
कल की उम्मीदों
पर ही तो
रौशन है ज़िन्दगी

गुज़रे जो तेरे साथ
वो  है  ज़िन्दगी
और गुज़ारी
जो  तेरी यादों में
वो भी है ज़िन्दगी

कभी रातों  को
जागने का
नाम है ज़िन्दगी
 तो कभी
जागी आँखों का
 ख्वाब है ज़िन्दगी

वक़्त और हालात  का
नाम है ज़िन्दगी
और
हर हाल में
आज खुश रहने का
नाम है ज़िन्दगी.............................

ख्वाब !!


कर देते हैं बेचैन
बहुत
इस दिल को
कुछ ख्वाब अधूरे 
रहते इस दिल में
चुपके से
जो ख़्वाब
हो न पाये पूरे

अक्सर चुभते हैं
आँखों में
ओस की बूँदों से
झिलमिल झिलमिल करते
दिल में मचलते
लहराते
सागर से
छलक छलक जाते हैं
जो रहते इस दिल में
कुछ ख्वाब आधे अधूरे 

चुन चुन कर
इन ख़्वाबों को
सजाना है
वक़्त की हथेली पर
करना है पूरा
उनको
जो छूट गए
सफ़र में अधूरे 

जानता हूँ
है मुश्किल ये
पर
आएगा वो दिन
होंगे जब
ये ख़्वाब पूरे.................

 

Thursday, April 2, 2015

चिड़िया !!

कहता आज कहानी
एक नन्ही चिड़िया की
उड़ती फिरती थी वो
इधर उधर
आसमान था सारा
उसका जैसे

ख्वाब थे ऐसे
जो थे जाते आसमाँ से परे
मॉ थी उसको समझाती
पर वो आवाज़ शायद
उस तक पहुँच ही न पाती

उसे न था पता
कि वक़्त है कितना
निर्मम
न था गुमाँ
उस नन्ही जान को
होता ऐसा भी
इस  जहाँ में

काट के पंख उसके
ला पटका धरा पर
वक़्त ने उसको
एक दिन

सिमट गयी वो
मॉ की गोद में
सपने सारे
बिखर गए टूट कर
इधर उधर
उनकी किरचें चुभती जाती थीं
बस अब तो दिखता
सिर्फ अन्धकार
जहाँ दूर तक नज़र जाती थी

चिड़िया घुटती रही,
खुद में सिमटती रही
अपने पंखों को
फ़ैलाने से बचती रही
थोड़ी-थोड़ी जिंदादिली
उसकी रोज मरती रही

वक़्त गुज़रा
पल पल सहर सहर
समेटी उसने
सारी हिम्मत
और ठान लिया
कि
है उसे फिर से
उड़ना
इसी आसमाँ पे

विश्वास था उसे
अपने पर अटूट
कि कर लेगी वो
पार हर मुश्किल
हर बाधा
फैला कर अपने
घायल परवाज़
फिर ली उसने
एक भरपूर उड़ान
दुनिया फिर उसको
कुछ तो
भली सी लगी थी
जीत उसकी थी
और वो फिर
अपने सपनों की मंज़िल
को पाने  चली थी

पर न पता था उसे
कि
इम्तिहाँ अभी और भी हैं
मुश्किलें अभी
और भी हैं राहों में

अभी उड़ान वो अपनी
साध भी ना पायी थी
कि वक़्त की निर्ममता ने
कहर एक और बरपाया

छीन लिया वो दरख्त
ममता का
छाँव में जिसकी
था आराम उसने पाया

नियति ने किया
फिर
एक क्रूर मज़ाक
साथ उसके
संभल न पायी थी
जो अभी
पिछले ही वार से
कर दिया वक़्त ने
एक और प्रहार

वक़्त ने छीना उससे
उम्मीदों का ताना-बाना
रोती रही वो
पर आँखों से
आंसू तक ना आया
चिड़िया बुत बनी
वो बन गयी
अपनी ही छाया
छिन गया
उसके होंठो से
उसका मुस्कुराना

टूट गयी जैसे वो
कहीं कहीं से
जो फिर न जुड़ पायी
होता क्यूँ ऐसा
वो कभी
समझ ना पायी
चिडिया जीती रही
भूल कर पंख फैलाना

फिर प्रकृति ने उसे
हौले से समझाया
रूकती नहीं ज़िन्दगी
किसी के जाने से
चलना तो होगा उसे
जो है इस जहाँ में आया

समझ इस सत्य को
फिर उसने जोर लगाया
समेट अपनी शक्ति
फिर उसने पंखों को फैलाया

चिड़िया जो टूट कर भी
टूटी न थी
जग से रूठ कर भी खुद से
वो अभी रूठी ना थी
उसके सपनों ने फिर से
सीखा चहचहाना
उड़ चली एक बार फिर
उसे है फिर
अपने सपनों को पाना

पर सपने भी अब
कुछ धुँधलाने से लगे हैं
मंज़िलों के निशाँ भी
अब तो
भरमाने से लगे हैं

तन घायल है
मन व्यथित है
बैठ जाती है
कभी कभी
थक कर
वो चिड़िया
दर्द कर जाता है
जब
पार हर सीमा
सोचती है वो
क्योंकर है जीना

पर जानता हूँ
क्षणिक है
यह थकान
चिड़िया के लिए
फिर लेगी
वो एक भरपूर उड़ान
जीत कर वो अपने आप से
फिर से
मुस्कुराएगी वो
उसकी चहचाहट से
फिर खिल उठेगा
यह आसमां

वो नन्ही चिड़िया
नज़र आती मुझे
एक शक्ति पुँज
है स्रोत्र वो
मेरी ऊर्जा का
थक हार जब कभी
बैठ जाता मैं
तो वो मुझको
है समझाती
ये दुनिया है
ये ऐसे ही चलती है
मुझको ये बताती
मेरी हर मुश्किल को  है
वो आसान बनाती
वो चिड़िया मुझे
है बहुत
याद आती .........


Wednesday, February 18, 2015

साथ !!

इक उम्र गुज़री जो उनके साथ साथ
शरीक-ए-हयात हमारा हमको और भी प्यारा हो गया

क्या हुआ जो झाँकने लगी है चाँदनी उन गेसुओं से
चेहरे के नूर में कुछ और इज़ाफ़ा हो गया

बदलती है चेहरे उम्र वक़्त के साथ साथ
दिल न बदलेगा उनका ये हमको यकीं हो गया

वक्ती दुनिया में दे न सका कोई साथ हमारा
हर कदम पर अब साथ उनका गवारा हो गया

थकने लगे हैं थोड़े अब कदम हमारे तुम्हारे
एक दूजे का मगर हमको सहारा हो गया

है रब से गुज़ारिश कि संग उनका ही मिले
जो गर इस फ़ानी दुनिया में फिर आना हो गया .....