Thursday, November 18, 2010

कुछ लम्हे !!

कुछ पन्ने
आज फिर पलट गए
कई लम्हे
अतीत के
आँखों के सामने से
गुज़र गए

कई साथी पुराने
याद आये
वो जो बिछड़े
फिर ना कभी
मिलने आये

कई आवाजें
कानों में गूँज गयीं
ना जाने कितने
रस घोल गयीं

एक हंसी याद आई
खिलखिलाती हुई
दिल को भरमाती हुई
ना जाने कितने
किस्से कह गयी

बंद की आँखें तो
कुछ लम्हे
सामने आ कर
मुस्कुराने लगे
ना जाने किन
बिछड़े रास्तों पर
फिर से ले जाने लगे

सहम कर मैंने
खोल दी आँखें
सर को झटक कर
सामने से
उन लम्हों को हटा दिया
फिर से बंद कर
उन सारे पन्नों को
अपने रास्ते चल दिया