इक उम्र गुज़री
जो उनके साथ साथ
शरीक-ए-हयात
हमारा हमको और भी प्यारा हो गया
क्या हुआ जो
झाँकने लगी है चाँदनी उन गेसुओं से
चेहरे के नूर
में कुछ और इज़ाफ़ा हो गया
बदलती है चेहरे
उम्र वक़्त के साथ साथ
दिल न बदलेगा
उनका ये हमको यकीं हो गया
वक्ती दुनिया
में दे न सका कोई साथ हमारा
हर कदम पर
अब साथ उनका गवारा हो गया
थकने लगे हैं
थोड़े अब कदम हमारे तुम्हारे
एक दूजे का
मगर हमको सहारा हो गया
है रब से गुज़ारिश
कि संग उनका ही मिले
जो गर इस फ़ानी
दुनिया में फिर आना हो गया .....