Tuesday, July 26, 2011

आज़ादी !!

था समझता
आज़ाद पंछी
वो खुद को
उड़ान तो है भरी
उसने
आकाश  में
पर है नहीं
उसको पता
कि
आज़ादी उसकी
है उसका एक
भ्रम
आना ही होगा
उसे लौट कर
वापस
उसी शाख पर
तोड़ पाएगा नहीं वो
बंधन
जो बांधे हैं
उसने खुद ही
जाने या अन्जाने

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