जानता हूँ
मैं
फिर फिर
जाता लौट कर
वहीं
जहाँ से
आ गया हूँ
बहुत आगे
पर क्या
तुमने
सोचा कभी
क्यों जाता
मैं
वापस वहीं
हैं कुछ
अनमोल पल मेरे
जाता उनसे
मिलने मैं
वहीं
हैं गहरे बहुत
रंग बचपन के
मन पर मेरे
स्म्रतियां भी हैं
कि
धुंधलाती नहीं
वक़्त के साथ ……
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