थे तुम
जब साथ
तब था
न जाने वो
कैसा अहसास
सर्दी की दोपहर में
कुनकुनी धूप सा
और
सुबह की ओस का
मखमली सा
अहसास
जो गुजरती थी
हवा
तुझसे होकर,
वो कुछ ऐसी
महक जाती थी..
आती थी जब
वो मुझ तक
मेरी साँसें
बहक जाती थीं
बाहों में जब
सिमट आये थे
तुम
उन लम्हों से
आज भी
महकता है
मेरा मन
काँधे का जो
लिया था
तुम्हारे चुम्बन
उस ताप से
आज भी
दहकता है
मेरा तन
यादों से तेरी
आज भी
बहलता है दिल
उस शोख हँसी से
आज भी
बहकता है दिल
वो तेरा
बेबाकपन
याद है मुझे
आज भी
भूल जाऊं तुझे
ऐसा तो
कुछ भी नहीं
पर
याद रखने के
हैं बहाने कई ........
जब साथ
तब था
न जाने वो
कैसा अहसास
सर्दी की दोपहर में
कुनकुनी धूप सा
और
सुबह की ओस का
मखमली सा
अहसास
जो गुजरती थी
हवा
तुझसे होकर,
वो कुछ ऐसी
महक जाती थी..
आती थी जब
वो मुझ तक
मेरी साँसें
बहक जाती थीं
बाहों में जब
सिमट आये थे
तुम
उन लम्हों से
आज भी
महकता है
मेरा मन
काँधे का जो
लिया था
तुम्हारे चुम्बन
उस ताप से
आज भी
दहकता है
मेरा तन
यादों से तेरी
आज भी
बहलता है दिल
उस शोख हँसी से
आज भी
बहकता है दिल
वो तेरा
बेबाकपन
याद है मुझे
आज भी
भूल जाऊं तुझे
ऐसा तो
कुछ भी नहीं
पर
याद रखने के
हैं बहाने कई ........
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