परछाइयों के पीछे
भागता हर इंसान
जाने किस गफ़लत में
जीता हर इंसान
भूल जाता कि
परछाइयाँ
देती साथ
सिर्फ़ रौशनी में
अँधेरा होते ही
छोड़ जाती साथ
और रह जाता
तन्हा इंसान
अपने अपने
हिस्से का
अँधेरा जीता
हर इंसान
जानता है इस सच को
फिर भी
ना जाने क्यूँ भरमाता
खुद को इंसान
भ्रम होता कभी तो
कि हैं वो इंसान
या हैं सिर्फ
परछाइयाँ......................
भागता हर इंसान
जाने किस गफ़लत में
जीता हर इंसान
भूल जाता कि
परछाइयाँ
देती साथ
सिर्फ़ रौशनी में
अँधेरा होते ही
छोड़ जाती साथ
और रह जाता
तन्हा इंसान
अपने अपने
हिस्से का
अँधेरा जीता
हर इंसान
जानता है इस सच को
फिर भी
ना जाने क्यूँ भरमाता
खुद को इंसान
भ्रम होता कभी तो
कि हैं वो इंसान
या हैं सिर्फ
परछाइयाँ......................
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