सजती नहीं ज़िन्दगी
सिर्फ फूलों से
काँटे भी सजा देते हैं
ज़िन्दगी कभी कभी
मिलती नहीं खुशियां
सिर्फ बहारों से
दे जाते हैं पतझड़ भी
खुशियाँ कभी कभी
मिलता नहीं सुकून
हमेशा महफ़िलों में
मिलता है सुकून
वीरानों में भी कभी कभी
बुझा सकते हैं जो
समंदर भी नहीं
बुझती है वो प्यास
सहरा में भी कभी कभी
मिलता नहीं उजाला
सिर्फ सुबहों में
रात भी लेकर है आती
उजाला कभी कभी
मिलते नहीं जो हमसे
हकीकत में कभी
ख़्वाबों में मिल लेते हैं
उनसे कभी कभी ...................
सिर्फ फूलों से
काँटे भी सजा देते हैं
ज़िन्दगी कभी कभी
मिलती नहीं खुशियां
सिर्फ बहारों से
दे जाते हैं पतझड़ भी
खुशियाँ कभी कभी
मिलता नहीं सुकून
हमेशा महफ़िलों में
मिलता है सुकून
वीरानों में भी कभी कभी
बुझा सकते हैं जो
समंदर भी नहीं
बुझती है वो प्यास
सहरा में भी कभी कभी
मिलता नहीं उजाला
सिर्फ सुबहों में
रात भी लेकर है आती
उजाला कभी कभी
मिलते नहीं जो हमसे
हकीकत में कभी
ख़्वाबों में मिल लेते हैं
उनसे कभी कभी ...................
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