Thursday, April 7, 2011

जाने क्यूं !!

मिलते जीवन पथ पर
ना जाने कितने लोग
साथ साथ चलते
कुछ पल छिन
फिर
बदल जातीं
राह उनकी
और
रह जाते वो
जाने कहाँ
पर
उनमें से कुछ
हो जाते दिल के करीब
बसने लगते
हमारे अहसासों में
फिर
उनके जाने का अहसास भी
देता है तकलीफ
क्यों
जुड़ जाते हैं
हम उनसे इतना
कि
देता है तकलीफ
उनके बिछड़ने का अहसास भी
मिलना और
मिल कर बिछड़ना
है यही नियति
मुझे मालूम है
पर
होता नहीं सभी कुछ तो
हाथ हमारे
अहसास
कब होते हैं
हमारे नियंत्रण में
वो
कब समा लेते हैं
अपने भीतर
लोगों को
हम समझ भी नहीं पाते
कब बन जाते वो लोग
ज़िन्दगी का हिस्सा
हम जान भी नहीं पाते
पर
जिनको जाना है
वो तो चले ही जायेंगे
बस छोड़ जायेंगे
कुछ यादें
और
एक ख़लिश
सोचता हूँ
ना जाने क्यूं
मिलते हैं लोग
इस जीवन पथ पर ...........