Monday, December 30, 2013

अनुभूति !!

फिर
आज आई है
खुशबू
हवाओं में 
तेरी
जैसे हो
अनुभूति
कहीं तेरे
पास होने की

महसूस करता
गर्माहट वो
तुम्हारे कोमल
सानिध्य की
मन का
तार तार
होता झंकृत जैसे
तुम्हारी छुअन से

तेरे नयनो से
आते जैसे
मौन सन्देश तेरे
दिल चाहता आज
लिखूं कुछ एसा
पहुंचाए तुम तक
जो अहसास
मेरे अहसासों का .................

बचपन !!

जानता हूँ
मैं
फिर फिर 
जाता लौट कर 
वहीं 
जहाँ से 
आ गया हूँ 
बहुत आगे

पर क्या 
तुमने 
सोचा कभी 
क्यों जाता
मैं 
वापस वहीं 

हैं कुछ 
अनमोल पल मेरे 
जाता उनसे 
मिलने मैं 
वहीं 

हैं गहरे बहुत 
रंग बचपन के 
मन पर मेरे 
स्म्रतियां भी हैं 
कि
धुंधलाती  नहीं 
वक़्त के साथ ……