कर देते हैं बेचैन
बहुत इस दिल को
कुछ ख्वाब अधूरे
रहते इस दिल में
चुपके से
जो ख़्वाब
हो न पाये पूरे
अक्सर चुभते हैं
आँखों में ओस की बूँदों से
झिलमिल झिलमिल करते
दिल में मचलते
लहराते
सागर से
छलक छलक जाते हैं
जो रहते इस दिल में
कुछ ख्वाब आधे अधूरे
चुन चुन कर
इन ख़्वाबों को सजाना है
वक़्त की हथेली पर
करना है पूरा
उनको
जो छूट गए
सफ़र में अधूरे
जानता हूँ
है मुश्किल येपर
आएगा वो दिन
होंगे जब
ये ख़्वाब पूरे.................
No comments:
Post a Comment