Monday, June 3, 2019

खिड़कियाँ !!

खिड़कियाँ 
रहती हैं
दीवारों में 
या दीवारें 
खिड़कियों में 

खिड़कियाँ 
रहती हैं
असल में 
सड़कों पर 
जहाँ से 
सड़कें 
चली आती हैं
घर में 

बाहर को 
घर में 
आने के लिए 
बस
खिड़कियों का ही 
सहारा है

हर ख़ुशी
हर गम में
हाथ हमारा
थामती हैं
ये खिड़कियाँ

बैठ कुछ देर
खिड़की पर
जब उठो
तो लगता जैसे
आये हैं बाहर से
हाथ होते हैं
खाली 
पर मन होता
कुछ भरा भरा

जाकर लौटते
बाहर से
तो होते हैं
हाथ भरे
पर
मन कुछ
खाली खाली

सोचता मैं
तो लगता जैसे
कराती परिचय
दुनिया से हमारा 
ये खिड़कियाँ .......

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