हमने दुनिया में क्या कमाया है
धूप अपनी ना अपना साया है
मेरी आँखों में देख कर आसूं
आइना भी आज मुस्कुराया है
उसका साया तलाश करते हो
जिसका सारे जहाँ पर साया है
मेरे अन्दर की अपनी चीखों ने
मेरी आवाज़ को दबाया है
आंसुओं ने हमारी आँखों में
कितनी मेहनत से घर बनाया है
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