कितनी ख्वाहिशें रह गयीं
कितनी हसरतें रह गयीं
दीदार तो हुये तेरे
पर नज़रें प्यासी रह गयीं
कहना था कितना कुछ
पर लब खामोश रह गये
कुछ शब्द ना मिले...
कुछ हम ना कह सके
दिल चाह रहा था कि
वक्त थम जाये
वक्त थम जाये
पर ना वक्त ने रुकना था
ना रुका
हम उठ कर चले आये
और
साथ आयीं खामोशियाँ.......
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